Snan mantra | स्नान करने के नियम, मंत्र, आप भी जानें
स्नान मन्त्र
मंत्र क्या है ?
मंत्र शब्द मन +त्र के संयोग से बना है !मन का अर्थ है सोच ,विचार ,मनन ,या चिंतन करना ! और “त्र ” का अर्थ है बचाने वाला , सब प्रकार के अनर्थ, भय से !लिंग भेद से मंत्रो का विभाजन पुरुष ,स्त्री ,तथा नपुंसक के रूप में है !पुरुष मन्त्रों के अंत में “हूं फट ” स्त्री मंत्रो के अंत में “स्वाहा ” ,तथा नपुंसक मन्त्रों के अंत में “नमः ” लगता है ! मंत्र साधना का योग से घनिष्ठ सम्बन्ध है…
मंत्र शब्द मन +त्र के संयोग से बना है !मन का अर्थ है सोच ,विचार ,मनन ,या चिंतन करना ! और “त्र ” का अर्थ है बचाने वाला , सब प्रकार के अनर्थ, भय से !लिंग भेद से मंत्रो का विभाजन पुरुष ,स्त्री ,तथा नपुंसक के रूप में है !पुरुष मन्त्रों के अंत में “हूं फट ” स्त्री मंत्रो के अंत में “स्वाहा ” ,तथा नपुंसक मन्त्रों के अंत में “नमः ” लगता है ! मंत्र साधना का योग से घनिष्ठ सम्बन्ध है…
स्नान करने के नियम, मंत्र, आप भी जानें
स्नान करने से शरीर तो साफ होता ही है। परन्तु स्नान के साथ-साथ आपको कुछ शक्तियों का भी आभास होता है। जब आप किसी भी देवी-देवता को मंत्रों के साथ स्नान कराते हैं तो मन ही मन में मंत्र बोले जाते हैं। इसके साथ ही जब आप स्वयं भी स्नान करते हैं तो आप भी कुछ खास मंत्रों का जाप कर सकते हैं, जिससे की आप स्नान सफल हो जाएं तो आइए आप भी जानें स्नान मंत्र, मंत्र की विधि, मंत्र के नियम के बारें में जरुरी बातें।
धनवान बनने के लिए स्नान करते समय जपें बस यह एक मंत्र
वैदिक पद्धति में कहा है की प्रतिदिन स्नान करते समय इस मंत्र का स्मरण करके स्नान करना चाहिये |
स्नान करते समय इस मंत्र का स्मरण करने से सभी तीर्थ हमारे स्नान करने के पानी में आवाहित होते है और उस पानी को पवित्र जल बनाते है |
स्नान मंत्र
ॐ गङ्गे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती |
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधिं कुरु ||
श्लोकार्थ
गंगा,यमुना,गोदावरी,सरस्वती,नर्मदा माँ,सिंधु,और माँ कावेरी
आप सभी तीर्थ मेरे पानी में आइये में आपका आवाहन करता हु मेरे इस पानी को जल
बनाओ ताकि में इसमें स्नान कर अपने सभी पापो का विनाश कर सकू |
|| स्नान मंत्र समाप्तः ||
स्नान करने से शरीर तो साफ होता ही है। परन्तु स्नान के साथ-साथ आपको कुछ शक्तियों का भी आभास होता है। जब आप किसी भी देवी-देवता को मंत्रों के साथ स्नान कराते हैं तो मन ही मन में मंत्र बोले जाते हैं। इसके साथ ही जब आप स्वयं भी स्नान करते हैं तो आप भी कुछ खास मंत्रों का जाप कर सकते हैं, जिससे की आप स्नान सफल हो जाएं तो आइए आप भी जानें स्नान मंत्र, मंत्र की विधि, मंत्र के नियम के बारें में जरुरी बातें।
स्नान के नियम
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि स्नान करने के पश्चात भगवान सूर्यदेव को जल अर्पण करना चाहिए। और यदि आप भगवान सूर्यदेव को जल अर्पण नहीं करते हैं तो आपको स्नान करने का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है।
आप जिस बाल्टी अथवा पात्र से अपने बाथरूम में स्नान करने जाते हैं, तो उस पात्र में जल भरकर जल के ऊपर अपनी तर्जनी अंगुली या अनामिका से एक त्रिकोण अर्थात त्रिभुज अवश्य बनाएं।
इसके बाद उस त्रिभुज के अंदर आपको अनामिका अंगुली से 'ऊं' लिखना है। और आप ऊं का तीन बार सांस खींचते हुए जाप करें। और फिर उस जल से स्नान करें। और स्नान करते हुए स्नान मंत्र का जाप करते रहें।
लाभ
1. आप जब भी स्नान करें, इस मंत्र का जाप जरुर करें। यह मंत्र आपके लिए सर्वोत्तम रहता है।
2. इस मंत्र का स्नान के समय जाप करने से आपको कुछ ही दिनों में विशेष अनुभूति होने लगेगी।
3. इस मंत्र के इस प्रकार प्रयोग करने से आपके ऊपर ईश्वर की दैवीय कृपा अवश्य होगी।
4. आप जब भी स्नान करें पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके स्नान करें।
स्नान करने के पश्चात आप किसी वाइपर आदि से अपने स्नानघर को साफ कर दें। स्नानघर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखें। स्नानघर गंदा नहीं रहना चाहिए। स्नानघर गंदा रहने के व्यक्ति पर कई प्रकार के दुष्प्रभाव पड़ते हैं।
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