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स्वर्ग प्राप्ति मंत्र | Swarg Prapti Mantra lyrics in hindi

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  स्वर्ग की प्राप्ति के लिए नित्य करें इस मंत्र का पाठ इस लेख में आपको दो मंत्र बताऊंगा, इन दो मंत्रों में से आप कोई सा भी मंत्र नित्य बोल सकते हैं। इन मंत्रों को बोलने के बाद मनुष्य के मरने के बाद, उसकी अधोगति नहीं होती है और उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। Comment section में "जय माता दी" जरूर लिखिएगा और यदि आपका कोई सवाल हो या कोई शंका हो तो जरूर बताएं हम उसका समाधान अवश्य देंगे। घर में दुर्गा माता की कोई फोटो लेकर आए या फिर मूर्ति की स्थापना करेंगे तो अति उत्तम होगा और नित्य उसका पूजन करें, हाथ में जल लेकर माता से प्रार्थना करनी चाहिए की हे माता जी मेरी मृत्यु के पश्चात मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो और ऐसा बोल कर हाथ से चल छोड़ कर, दीपक जलाने के पश्चात इन मंत्रों का नित्य पाठ करना चाहिए । और मंत्र बोलते समय एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि इन मंत्रों को बोलते समय आपके मुंह से आवाज ना निकले, इन मंत्रों का पाठ आपको मन ही मन करना है। इन मंत्रों का पाठ 11 बार 21 बार या जितनी बार आपका मन चाहे उतने बार आप इनका जप कर सकते हैं और यह दोनों मंत्र कुछ इस प्रकार है। ।।1।। सर्वभूता यदा देवी...

इस तरीके से तुरंत सिद्ध हो जाते हैं मंत्र, जानिए रहस्य...| mantra ko kaise siddh karen

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इस तरीके से तुरंत सिद्ध हो जाते हैं मंत्र, जानिए रहस्य... कोई मंत्र कब होता है सिद्ध, एक लाख बार जपने पर या कि 108 बार जपने पर ही सिद्ध हो जाता है? और जब सिद्ध हो जाता है, तब क्या होता है? यह सवाल आपके मन में जरूर होंगे तो चलो इस बारे में आपको आसान तरीके से बताने की कोशिश करते हैं। मुख्यत: 3 प्रकार के मंत्र होते हैं-   1.वैदिक  2.तांत्रिक और 3.शाबर मंत्र  पहले तो आपको यह तय करना होगा कि आप किस तरह के मंत्र को जपने का संकल्प ले रहे हैं। शाबर मंत्र बहुत जल्द सिद्ध होते हैं, तांत्रिक मंत्र में थोड़ा समय लगता है और वैदिक मंत्र थोड़ी अधिक देर से सिद्ध होते हैं। लेकिन जब वैदिक मंत्र सिद्ध हो जाते हैं तो उनका असर कभी समाप्त नहीं होता है।   मंत्र जप तीन प्रकार हैं: -  1.वाचिक जप 2. मानस जप और  3. उपाशु जप।  वाचिक जप में ऊंचे स्वर में स्पष्ट शब्दों में मंत्र का उच्चारण किया जाता है। मानस जप का अर्थ मन ही मन जप करना। उपांशु जप का अर्थ जिसमें जप करने वाले की जीभ या ओष्ठ हिलते हुए दिखाई देते हैं लेकिन आवाज नहीं सुनाई देती। बिलकुल धीमी गति में जप करना ही उपांशु जप ...