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Vishnu Gayatri Mantra lyrics & meaning in Hindi | विष्णु गायत्री मंत्र हिन्दी अर्थ

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  विष्णु गायत्री मंत्र भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक है जो दुनिया के पालनकतॉ है उन को प्रसन्न करके हम अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।  भगवान विष्णु मंत्र  के द्वारा हम भगवान विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक देव हैं। त्रिदेव यानी ब्रह्म, विष्णु, और महेश ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं, विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता और महेश सृष्टि के संहारक हैं। ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥ Om Shri Vishnave Cha Vidmahe Vasudevaya Dhimahi। Tanno Vishnuh Prachodayat॥ अर्थ –  ओम, मुझे भगवान विष्णु पर ध्यान केंद्रित करने दे, हे भगवान विष्णु मुझे उच्च विद्या दें, और भगवान विष्णु मेरे मस्तिष्क को प्रकाशित करें।

सुबह उठते ही करें इस मंत्र का जाप, सभी काम हो जाएंगे पूरे और सकारात्मक बीतेगा दिन

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  सुबह उठते ही करें इस मंत्र का जाप, सभी काम हो जाएंगे पूरे और सकारात्मक बीतेगा दिन शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए, इसके बाद सूर्य नमस्कार शुरू करके दिन शुरु करना चाहिए लेकिन भागती-दौड़ती जिंदगी में अक्सर यह सम्भव नहीं हो पाता कि हम सुबह सूर्योदय से पहले उठ सकें।  ऐसे में हम सुबह कभी भी उठकर एक मंत्र का जाप कर सकते हैं, जिससे दिन की शुरुआत सकारात्मकता के साथ हो सके।      सुबह उठते ही करें इस मंत्र का जाप  सूर्योदय -sunrise gif image कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती । करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥ अर्थात :  हाथ के अग्र भाग में देवी लक्ष्मी, मध्य भाग में मां सरस्वती तथा मूल भाग में परमबह्मा गोविंद का निवास होता है।  सुबह उठकर हथेलियों के दर्शन करने से इन सभी के दर्शन होते हैं। मंत्र के जाप के बाद स्नान   आप इस मंत्र का जाप सुबह उठते ही बिस्तर पर बैठकर इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।  इसके बाद आप नित्य क्रिया से निपट कर पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें।  वीरवार के दिन पीले रंग के कपड़े और पीले रंग ...

Chanakya Niti: ऐसी स्त्री से हमेशा दूर रहना चाहिए नहीं तो जीवन हो सकता है बर्बाद

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Chanakya Niti: ऐसी स्त्री से हमेशा दूर रहना चाहिए नहीं तो जीवन हो सकता है बर्बाद Chanakya Niti : चाणक्य एक योग्य शिक्षक थे. उनके पिता भी शिक्षक थे. पिता की इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए चाणक्य ने भी शिक्षक बनने का फैसला किया. शिक्षक बनने से पहले चाणक्य ने वेदों और साहित्य का अध्ययन किया. चाणक्य योग्य शिक्षक होने के साथ साथ एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे. वे प्राचीन तक्षशिला विश्वविद्यालय में आचार्य थे. शिक्षा और अपने अनुभवों से जो कुछ सीखा उसे चाणक्य नीति में सम्मलित किया. चाणक्य तीक्ष्ण बुद्धि के थे वे दूरदर्शी भी थे. उनकी शिक्षाएं और दर्शन की झलक चाणक्य नीति में झलकती है. आइए जानते हैं आज की चाणक्य नीति... 1.चरित्रहीन स्त्री और बुद्धिहीन मित्र से हमेशा दूर रहना चाहिए चाणक्य के अनुसार मूर्ख लोगों को कभी उपदेश नहीं देना चाहिए. ऐसा करना समय को बर्बाद करने जैसा है. वहीं चरित्रहीन स्त्री से सदैव दूर रहना चाहिए. चरित्रहीन स्त्री की संगत करने से बदनामी मिलना तय है. समाज में ऐसे व्यक्तिओं को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता है. साथ ही दुष्ट स्वभाव की स्त्रियों से भी बचना चाहिए. ऐसी स्त्रियों की ...