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शिव तांडव स्तोत्र पाठ करने के फायदे, लाभ, नियम, विधि | benefits of shiv tandav stotram in hindi

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A mazing benefits of shiv tandav stotram | क्या होगा अगर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करेंगे रोज़ाना ? 🤯 शिव तांडव स्तोत्र पढ़ने के फ़ायदे और लाभ - जो मनुष्य शिवतांडव स्तोत्र द्वारा भगवान शिव की स्तुति करता है, उससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। नियमित रूप से शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से कभी भी धन-सम्पति की कमी नहीं होती है। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से साधक को साथ ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है।  यह पाठ करने से व्यक्ति का चेहरा तेजमय होता है, आत्मबल मजबूत होता है।   शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से मन की कामना पूर्ण हो जाती है।  माना जाता है कि प्रतिदिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से वाणी की सिद्धि भी प्राप्त की जा सकती है।  भगवान शिव नृत्य, चित्रकला, लेखन, योग, ध्यान, समाधी आदि सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं, इसलिए शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से इन सभी विषयों में सफलता प्राप्त होती है।  शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से शनि दोष को कुप्रभावों से भी छुटकारा मिलता है।  जिन लोगों की कुण्डली में सर्प योग, कालसर्प योग या पितृ दोष लगा हु...

सुबह उठते ही करें इस मंत्र का जाप, सभी काम हो जाएंगे पूरे और सकारात्मक बीतेगा दिन

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  सुबह उठते ही करें इस मंत्र का जाप, सभी काम हो जाएंगे पूरे और सकारात्मक बीतेगा दिन शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए, इसके बाद सूर्य नमस्कार शुरू करके दिन शुरु करना चाहिए लेकिन भागती-दौड़ती जिंदगी में अक्सर यह सम्भव नहीं हो पाता कि हम सुबह सूर्योदय से पहले उठ सकें।  ऐसे में हम सुबह कभी भी उठकर एक मंत्र का जाप कर सकते हैं, जिससे दिन की शुरुआत सकारात्मकता के साथ हो सके।      सुबह उठते ही करें इस मंत्र का जाप  सूर्योदय -sunrise gif image कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती । करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥ अर्थात :  हाथ के अग्र भाग में देवी लक्ष्मी, मध्य भाग में मां सरस्वती तथा मूल भाग में परमबह्मा गोविंद का निवास होता है।  सुबह उठकर हथेलियों के दर्शन करने से इन सभी के दर्शन होते हैं। मंत्र के जाप के बाद स्नान   आप इस मंत्र का जाप सुबह उठते ही बिस्तर पर बैठकर इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।  इसके बाद आप नित्य क्रिया से निपट कर पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें।  वीरवार के दिन पीले रंग के कपड़े और पीले रंग ...

मां बगलामुखी देवी कौन है ?

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माँ बगलामुखी फोटो hd मां बगलामुखी बगलामुखी देवी दस महाविद्याओं में से एक हैं। यह आठवीं महाविद्या और स्तम्भन की देवी मानी जाती हैं। बगलामुखी देवी अपने भक्तों के कष्टों को दूर कर उन्हें भयमुक्त करती हैं। इन्हें पीताम्बरा के नाम से भी जाना जाता हैं। इन्हें पीला रंग अधिक पसंद है। देवी रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजमान होती हैं तथा उनके भक्तों को तीन लोकों में कोई पराजित नहीं कर सकता। बगला शब्द संस्कृत भाषा से आया है जिसका अर्थ है दुल्हन। बगलामुखी रूप में देवी अपने अलौलिक सौंदर्य का प्रतिनिधित्व करती हैं।    पौराणिक कथा  एक मान्यता के अनुसार एक बार ब्रह्मांड में तूफान आया। तूफान आने से समस्त सृष्टि में प्रलय आ गया। सभी जीव-जन्तु नष्ट होने लगे। इस विनाशकारी तूफान से देवता भी बहुत चिंतित हो गए। भगवान विष्णु ने चिंतामग्न होकर इस तूफान को खत्म करने की ठानी। इसके लिए उन्होंने देवी की आराधना की। देवी प्रसन्न हो गयीं और उन्होंने बगलामुखी के रूप में अवतार लिया। बगलामुखी महाविद्या को विष्णु के तेज से सम्पन्न होने के कारण वैष्णवी भी कहा जाता है।     मां बगलामुखी की पूजा ...

इस तरीके से तुरंत सिद्ध हो जाते हैं मंत्र, जानिए रहस्य...| mantra ko kaise siddh karen

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इस तरीके से तुरंत सिद्ध हो जाते हैं मंत्र, जानिए रहस्य... कोई मंत्र कब होता है सिद्ध, एक लाख बार जपने पर या कि 108 बार जपने पर ही सिद्ध हो जाता है? और जब सिद्ध हो जाता है, तब क्या होता है? यह सवाल आपके मन में जरूर होंगे तो चलो इस बारे में आपको आसान तरीके से बताने की कोशिश करते हैं। मुख्यत: 3 प्रकार के मंत्र होते हैं-   1.वैदिक  2.तांत्रिक और 3.शाबर मंत्र  पहले तो आपको यह तय करना होगा कि आप किस तरह के मंत्र को जपने का संकल्प ले रहे हैं। शाबर मंत्र बहुत जल्द सिद्ध होते हैं, तांत्रिक मंत्र में थोड़ा समय लगता है और वैदिक मंत्र थोड़ी अधिक देर से सिद्ध होते हैं। लेकिन जब वैदिक मंत्र सिद्ध हो जाते हैं तो उनका असर कभी समाप्त नहीं होता है।   मंत्र जप तीन प्रकार हैं: -  1.वाचिक जप 2. मानस जप और  3. उपाशु जप।  वाचिक जप में ऊंचे स्वर में स्पष्ट शब्दों में मंत्र का उच्चारण किया जाता है। मानस जप का अर्थ मन ही मन जप करना। उपांशु जप का अर्थ जिसमें जप करने वाले की जीभ या ओष्ठ हिलते हुए दिखाई देते हैं लेकिन आवाज नहीं सुनाई देती। बिलकुल धीमी गति में जप करना ही उपांशु जप ...