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शिव तांडव स्तोत्र पाठ करने के फायदे, लाभ, नियम, विधि | benefits of shiv tandav stotram in hindi

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A mazing benefits of shiv tandav stotram | क्या होगा अगर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करेंगे रोज़ाना ? 🤯 शिव तांडव स्तोत्र पढ़ने के फ़ायदे और लाभ - जो मनुष्य शिवतांडव स्तोत्र द्वारा भगवान शिव की स्तुति करता है, उससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। नियमित रूप से शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से कभी भी धन-सम्पति की कमी नहीं होती है। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से साधक को साथ ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है।  यह पाठ करने से व्यक्ति का चेहरा तेजमय होता है, आत्मबल मजबूत होता है।   शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से मन की कामना पूर्ण हो जाती है।  माना जाता है कि प्रतिदिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से वाणी की सिद्धि भी प्राप्त की जा सकती है।  भगवान शिव नृत्य, चित्रकला, लेखन, योग, ध्यान, समाधी आदि सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं, इसलिए शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से इन सभी विषयों में सफलता प्राप्त होती है।  शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से शनि दोष को कुप्रभावों से भी छुटकारा मिलता है।  जिन लोगों की कुण्डली में सर्प योग, कालसर्प योग या पितृ दोष लगा हु...

Snan mantra | स्नान करने के नियम, मंत्र, आप भी जानें

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  स्नान मन्त्र मंत्र क्या है ? मंत्र शब्द मन +त्र के संयोग से बना है !मन का अर्थ है सोच ,विचार ,मनन ,या चिंतन करना ! और “त्र ” का अर्थ है बचाने वाला , सब प्रकार के अनर्थ, भय से !लिंग भेद से मंत्रो का विभाजन पुरुष ,स्त्री ,तथा नपुंसक के रूप में है !पुरुष मन्त्रों के अंत में “हूं फट ” स्त्री मंत्रो के अंत में “स्वाहा ” ,तथा नपुंसक मन्त्रों के अंत में “नमः ” लगता है ! मंत्र साधना का योग से घनिष्ठ सम्बन्ध है… स्नान करने के नियम, मंत्र, आप भी जानें स्नान करने से शरीर तो साफ होता ही है। परन्तु स्नान के साथ-साथ आपको कुछ शक्तियों का भी आभास होता है। जब आप किसी भी देवी-देवता को मंत्रों के साथ स्नान कराते हैं तो मन ही मन में मंत्र बोले जाते हैं। इसके साथ ही जब आप स्वयं भी स्नान करते हैं तो आप भी कुछ खास मंत्रों का जाप कर सकते हैं, जिससे की आप स्नान सफल हो जाएं तो आइए आप भी जानें स्नान मंत्र, मंत्र की विधि, मंत्र के नियम के बारें में जरुरी बातें। धनवान बनने के लिए स्नान करते समय जपें बस यह एक मंत्र वैदिक पद्धति में कहा है की प्रतिदिन स्नान करते समय इस मंत्र का स्मरण करके स्नान करना चाहिये |...

सुबह उठते ही करें इस मंत्र का जाप, सभी काम हो जाएंगे पूरे और सकारात्मक बीतेगा दिन

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  सुबह उठते ही करें इस मंत्र का जाप, सभी काम हो जाएंगे पूरे और सकारात्मक बीतेगा दिन शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए, इसके बाद सूर्य नमस्कार शुरू करके दिन शुरु करना चाहिए लेकिन भागती-दौड़ती जिंदगी में अक्सर यह सम्भव नहीं हो पाता कि हम सुबह सूर्योदय से पहले उठ सकें।  ऐसे में हम सुबह कभी भी उठकर एक मंत्र का जाप कर सकते हैं, जिससे दिन की शुरुआत सकारात्मकता के साथ हो सके।      सुबह उठते ही करें इस मंत्र का जाप  सूर्योदय -sunrise gif image कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती । करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥ अर्थात :  हाथ के अग्र भाग में देवी लक्ष्मी, मध्य भाग में मां सरस्वती तथा मूल भाग में परमबह्मा गोविंद का निवास होता है।  सुबह उठकर हथेलियों के दर्शन करने से इन सभी के दर्शन होते हैं। मंत्र के जाप के बाद स्नान   आप इस मंत्र का जाप सुबह उठते ही बिस्तर पर बैठकर इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।  इसके बाद आप नित्य क्रिया से निपट कर पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें।  वीरवार के दिन पीले रंग के कपड़े और पीले रंग ...

मां बगलामुखी देवी कौन है ?

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माँ बगलामुखी फोटो hd मां बगलामुखी बगलामुखी देवी दस महाविद्याओं में से एक हैं। यह आठवीं महाविद्या और स्तम्भन की देवी मानी जाती हैं। बगलामुखी देवी अपने भक्तों के कष्टों को दूर कर उन्हें भयमुक्त करती हैं। इन्हें पीताम्बरा के नाम से भी जाना जाता हैं। इन्हें पीला रंग अधिक पसंद है। देवी रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजमान होती हैं तथा उनके भक्तों को तीन लोकों में कोई पराजित नहीं कर सकता। बगला शब्द संस्कृत भाषा से आया है जिसका अर्थ है दुल्हन। बगलामुखी रूप में देवी अपने अलौलिक सौंदर्य का प्रतिनिधित्व करती हैं।    पौराणिक कथा  एक मान्यता के अनुसार एक बार ब्रह्मांड में तूफान आया। तूफान आने से समस्त सृष्टि में प्रलय आ गया। सभी जीव-जन्तु नष्ट होने लगे। इस विनाशकारी तूफान से देवता भी बहुत चिंतित हो गए। भगवान विष्णु ने चिंतामग्न होकर इस तूफान को खत्म करने की ठानी। इसके लिए उन्होंने देवी की आराधना की। देवी प्रसन्न हो गयीं और उन्होंने बगलामुखी के रूप में अवतार लिया। बगलामुखी महाविद्या को विष्णु के तेज से सम्पन्न होने के कारण वैष्णवी भी कहा जाता है।     मां बगलामुखी की पूजा ...

Why Lord Ram killed Bali ? श्री राम ने बाली को क्यों मारा ?

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श्री राम ने बाली को क्यों मारा वह चाहते तो पाली को क्षमा भी तो कर सकते थे क्योंकि बाली ने जब सुग्रीव को सिंहासन पर बैठा देगा तो वाले को तो ऐसा ही लगा कि सुग्रीव ने जानबूझ कर उसे गुफा में बंद कर दिया ताकि वह सिंहासन और उसकी बीवी को हड़प सके , श्री राम यदि चाहते तो बाली को समझाते कि सुग्रीव ने जो कुछ किया अनजाने में किया और इस बात पर भी हम सभी को पूरा भरोसा है कि यदि श्री राम स्वयं वाले को समझाते तो बारिश पर यकीन भी कर लेते हैं की सुग्रीव निर्दोष है। लेकिन फिर भी, फिर भी श्री राम ने बाली को क्यों मारा यह सवाल हम सबके दिमाग में घूमता रहता है।  तो आज इसी का सही और सटीक उत्तर को जान लेते हैं :  सबसे पहली बात तो यह है कि बाली को अपनी शक्ति पर अपनी ताकत पर इतना ज्यादा घमंड था कि उसे सुग्रीव की बात को सुनना कुछ लग रहा था और साथ ही यदि एक पल को मान लेते हैं कि बाली से ही सब कुछ अनजाने में हुआ लेकिन जो हुआ सो हुआ परंतु उसने तो सुग्रीव को मार कर भाग आने के बाद उसकी पत्नी को भी हड़पने का प्रयास किया उस पर बुरी नजर डाली।  और जब श्री राम बाली का वध कर देते हैं तो वाली कहता है कि यदि आप...

अश्वत्थामा कौन थे ? | Who is Ashwathama ? | Ashwathama in hindi |

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अश्वत्थामा कौन थे ? Who is Ashwathama ? अश्वत्थामा महाभारतकाल अर्थात द्वापरयुग में जन्मे थे। उनकी गिनती उस युग के श्रेष्ठ योद्धाओं में होती थी। वे गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र व कुरु वंश के राजगुरु कृपाचार्य के भानजे थे। द्रोणाचार्य ने ही कौरवों और पांडवों को शस्त्र विद्या में पारंगत बनाया था। महाभारत के युद्ध के समय गुरु द्रोण ने हस्तिनापुर राज्य के प्रति निष्ठा होने के कारण कौरवों का साथ देना उचित समझा। अश्वत्थामा भी अपने पिता की भाँति शास्त्र व शस्त्र विद्या में निपुण थे। पिता-पुत्र की जोड़ी ने महाभारत के युद्ध के दौरान पांडवों की सेना को छिन्न-भिन्न कर दिया था। पांडव सेना को हतोत्साहित देख श्रीकृष्ण ने द्रोणाचार्य का वध करने के लिए युधिष्ठिर से कूटनीति का सहारा लेने को कहा। इस योजना के तहत युद्धभूमि में यह बात फैला दी गई कि अश्वत्थामा मारा गया है। जब द्रोणाचार्य ने धर्मराज युधिष्ठिर से अश्वत्थामा की मृत्यु की सत्यता जाननी चाही तो युधिष्ठिर ने जवाब दिया कि 'अश्वत्थामा हतो नरो वा कुंजरो वा' (अश्वत्थामा मारा गया है, लेकिन मुझे पता नहीं कि वह नर था या हाथी)। यह सुन गुरु द्रोण पुत्र...

7 Facts about Veerbhadra : Destroyer Form of Lord Shiva (Mahadev)

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