Posts

Why Lord Ram killed Bali ? श्री राम ने बाली को क्यों मारा ?

Image
श्री राम ने बाली को क्यों मारा वह चाहते तो पाली को क्षमा भी तो कर सकते थे क्योंकि बाली ने जब सुग्रीव को सिंहासन पर बैठा देगा तो वाले को तो ऐसा ही लगा कि सुग्रीव ने जानबूझ कर उसे गुफा में बंद कर दिया ताकि वह सिंहासन और उसकी बीवी को हड़प सके , श्री राम यदि चाहते तो बाली को समझाते कि सुग्रीव ने जो कुछ किया अनजाने में किया और इस बात पर भी हम सभी को पूरा भरोसा है कि यदि श्री राम स्वयं वाले को समझाते तो बारिश पर यकीन भी कर लेते हैं की सुग्रीव निर्दोष है। लेकिन फिर भी, फिर भी श्री राम ने बाली को क्यों मारा यह सवाल हम सबके दिमाग में घूमता रहता है।  तो आज इसी का सही और सटीक उत्तर को जान लेते हैं :  सबसे पहली बात तो यह है कि बाली को अपनी शक्ति पर अपनी ताकत पर इतना ज्यादा घमंड था कि उसे सुग्रीव की बात को सुनना कुछ लग रहा था और साथ ही यदि एक पल को मान लेते हैं कि बाली से ही सब कुछ अनजाने में हुआ लेकिन जो हुआ सो हुआ परंतु उसने तो सुग्रीव को मार कर भाग आने के बाद उसकी पत्नी को भी हड़पने का प्रयास किया उस पर बुरी नजर डाली।  और जब श्री राम बाली का वध कर देते हैं तो वाली कहता है कि यदि आप...

अश्वत्थामा कौन थे ? | Who is Ashwathama ? | Ashwathama in hindi |

Image
अश्वत्थामा कौन थे ? Who is Ashwathama ? अश्वत्थामा महाभारतकाल अर्थात द्वापरयुग में जन्मे थे। उनकी गिनती उस युग के श्रेष्ठ योद्धाओं में होती थी। वे गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र व कुरु वंश के राजगुरु कृपाचार्य के भानजे थे। द्रोणाचार्य ने ही कौरवों और पांडवों को शस्त्र विद्या में पारंगत बनाया था। महाभारत के युद्ध के समय गुरु द्रोण ने हस्तिनापुर राज्य के प्रति निष्ठा होने के कारण कौरवों का साथ देना उचित समझा। अश्वत्थामा भी अपने पिता की भाँति शास्त्र व शस्त्र विद्या में निपुण थे। पिता-पुत्र की जोड़ी ने महाभारत के युद्ध के दौरान पांडवों की सेना को छिन्न-भिन्न कर दिया था। पांडव सेना को हतोत्साहित देख श्रीकृष्ण ने द्रोणाचार्य का वध करने के लिए युधिष्ठिर से कूटनीति का सहारा लेने को कहा। इस योजना के तहत युद्धभूमि में यह बात फैला दी गई कि अश्वत्थामा मारा गया है। जब द्रोणाचार्य ने धर्मराज युधिष्ठिर से अश्वत्थामा की मृत्यु की सत्यता जाननी चाही तो युधिष्ठिर ने जवाब दिया कि 'अश्वत्थामा हतो नरो वा कुंजरो वा' (अश्वत्थामा मारा गया है, लेकिन मुझे पता नहीं कि वह नर था या हाथी)। यह सुन गुरु द्रोण पुत्र...

7 Facts about Veerbhadra : Destroyer Form of Lord Shiva (Mahadev)

Image

Ramayan: एक श्लोकी रामायण में पूरी रामकथा का वर्णन, जानें पाठ करने के लाभ और नियम

Image

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता (अध्याय-०१) | Bhagwad Gita Chapter : 1

Image
  श्रीमद्‍भगवद्‍गीता (अध्याय-०१) अध्याय एक - कर्मयुद्ध-योग (योद्धाओं की गणना और सामर्थ्य) धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः । मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥ (१) भावार्थ : धृतराष्ट्र ने कहा - हे संजय! धर्म-भूमि और कर्म-भूमि में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे पुत्रों और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया? (१) संजय उवाच दृष्टा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा । आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रवीत्‌ ॥ (२) भावार्थ : संजय ने कहा - हे राजन्! इस समय राजा दुर्योधन पाण्डु पुत्रों की सेना की व्यूह-रचना को देखकर आचार्य द्रोणाचार्य के पास जाकर कह रहे हैं। (२) पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्‌ । व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता ॥ (३) भावार्थ : हे आचार्य! पाण्डु पुत्रों की इस विशाल सेना को देखिए, जिसे आपके बुद्धिमान्‌ शिष्य द्रुपद पुत्र धृष्टद्युम्न ने इतने कौशल से व्यूह के आकार में सजाया है। (३) अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि । युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः ॥ (४) भावार्थ : इस युद्ध में भीम तथा अर्जुन के समान अनेकों महान शूरवीर और धनुर्धर है...

श्री शिव क्षमा प्रार्थना (Lord Shiva Kshama Prarthana) - with Sanskrit lyrics

Image
श्री शिव क्षमा प्रार्थना (Lord Shiva Kshama Prarthana) Prayer for forgiveness to Lord Shiva in his Mrityunjaya form LYRICS: मृत्युञ्जय महारुद्र त्राहि मां शरणागतम् जन्म मृत्युजरारोगैः पीड़ितं कर्म बन्धनैः ।।१।। मन्त्रेणाक्षर हीनेन पुष्पेण विफलेन च पूजितोसि महादेव तत्सर्वं क्षम्यतां मम ।।२।। करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा श्रवननयंजं वा मानसं वापराधम् ।।३।। विहितमविहितं वा सर्वमेततक्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेवशम्भो ।।४।। ।। ॐ मृत्युञ्जयाय तत्सत् नमम ॐ ।। About : पुराणों में एक कथा के अनुसार, देवताओं और दानवों ने अमृत पाने के लिए समुद्रों का मंथन किया जिससे वे सभी अमर हो गए। हालाँकि, समुद्र से आने वाली पहली चीज़ हलाहल विष था, ऐसा विष जो सब कुछ सर्वनाश कर सकता था। इस विष के साथ क्या करना है, यह नहीं जानते हुए, देवताओं ने भगवान शिव से इसे पीने का अनुरोध किया, क्योंकि केवल वे ही इसमें सक्षम थे। अपने मृत्युंजय रूप में भगवान शिव सहमत हो गए, और इस विष को पीते समय इसे माता पार्वती की सहायता से उस विष को अपने गले में हमेशा के लिए स्थापित कर दिया। इस कारण उन्हें नीलकंठ महादेव के रूप ...

Chanakya Niti: ऐसी स्त्री से हमेशा दूर रहना चाहिए नहीं तो जीवन हो सकता है बर्बाद

Image
Chanakya Niti: ऐसी स्त्री से हमेशा दूर रहना चाहिए नहीं तो जीवन हो सकता है बर्बाद Chanakya Niti : चाणक्य एक योग्य शिक्षक थे. उनके पिता भी शिक्षक थे. पिता की इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए चाणक्य ने भी शिक्षक बनने का फैसला किया. शिक्षक बनने से पहले चाणक्य ने वेदों और साहित्य का अध्ययन किया. चाणक्य योग्य शिक्षक होने के साथ साथ एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे. वे प्राचीन तक्षशिला विश्वविद्यालय में आचार्य थे. शिक्षा और अपने अनुभवों से जो कुछ सीखा उसे चाणक्य नीति में सम्मलित किया. चाणक्य तीक्ष्ण बुद्धि के थे वे दूरदर्शी भी थे. उनकी शिक्षाएं और दर्शन की झलक चाणक्य नीति में झलकती है. आइए जानते हैं आज की चाणक्य नीति... 1.चरित्रहीन स्त्री और बुद्धिहीन मित्र से हमेशा दूर रहना चाहिए चाणक्य के अनुसार मूर्ख लोगों को कभी उपदेश नहीं देना चाहिए. ऐसा करना समय को बर्बाद करने जैसा है. वहीं चरित्रहीन स्त्री से सदैव दूर रहना चाहिए. चरित्रहीन स्त्री की संगत करने से बदनामी मिलना तय है. समाज में ऐसे व्यक्तिओं को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता है. साथ ही दुष्ट स्वभाव की स्त्रियों से भी बचना चाहिए. ऐसी स्त्रियों की ...